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तुम याद रहोगी


✍️आशीष तिवारी निर्मल



 

चले थे साथ मगर कहाँ लाकर छोड़ दिए, 

मैं परिंदा खामोश बैठा था,तुम झिंझोड़ दिए।

 

साथ तुम्हारे सब लगने लगा था सहज मुझे

अचानक अंतस तक तुम मुझको तोड़ दिए।

 

बदलकर मोहब्बत के मायने एक झटके में

खुशियों से दुख-दर्द की ओर मोड़ दिए।

 

मरने तक तुम याद रहोगी मुझको ऐ दोस्त, 

इन आंखों से अश्रु,तुम्हारे लिए निचोड़ दिए।

 

इतनी गवाही तो इतिहास भी देता है निर्मल, 

मोहब्बत को लोग साजिशन ही फोड़ दिए।

 

*लालगांव ,रीवा मध्यप्रदेश




 


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