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सुख से मौन गांधी







✍️प्रेम बजाज

दु:ख से दूर

सुख से मौन गांधी , 

भारत की

आन,बान और शान गांधी ।

इतिहास गवाह है

था स्वार्थ, शोषण 

और निर्लज्जता का दौर ।

खा रहे थे राष्ट्र को घुन  की मानिंद

तब आया बाजों का बाज़ ,

नीरवता की आवाज़ गांधी  ।

मांस हीन , रक्त हीन

केवल अस्थि शेष ,शुद्ध आत्मा , 

ना शत्रुता ज्ञान - विज्ञान से

सबको पढ़ाया मानवता का पाठ ।

जग चाहे बना बैरी

बापू को ना बैर किसी से , 

साध्वता से जीता दुश्मन

जग हारा ,वो जीता जग से ।

दुबला - पतला

पढ़ा - लिखा एक वीर जवान ,

ना तन पे कपड़ा ,ना पेट में रोटी

लपेटे केवल धोती ,

ले कर हाथ में सोटी ,

चला था शान्ति का पाठ पढ़ाता

देश को आज़ादी की ओर बढ़ाता

गौरों की काली करतूतों का 

कालापन दिखलाता

मौन से सत्याग्रह चलाता ।

होम दिया खुद को क्षमा

प्यार और शांति का बीज बोने में  

आओ सींचे इस बीज को

बापू का सपना साकार बनाएं ।

हां वो बापू ही था

जिसने ब्रिटिश ध्वज  हटाया 

भारत का तिरंगा लहराया ।

 

*जगाधरी ( यमुनानगर ) 

 


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