✍️गोपाल कृष्ण पटेल
कहते हैं एक मीठी सी मुस्कान है बेटी,
बेटी भार नहीं, जीवन का है आधार।
हर परिवार के कुल को बढ़ाती बेटियां,
फिर भी उन पर क्यों इतना है अत्याचार।।
खिलती हुई कलियां है बेटी,
अपने ही घर पे बेटियां है लाचार।
जीवन हैं उसका अधिकार,
फिर भी बेटी की जिंदगी से है क्यों व्यापार।।
कहीं दरिंदो की है शिकार,
तो कहीं पर शोषण का बाजार।
शिक्षा और सुरक्षा हैं उसका हथियार
फिर भी बेटियों से है क्यों दुराचार।।
दहेज के खातिर तड़पाई जाती हैं बेटियां
कही पे भ्रूण हत्या का है प्रहार।
कभी अंधेरी गलियों में हुई शिकार,
चिल्लाकर करती अपनो को अकेले पुकार।।
इस धरती की ताज है बेटियां,
फिर बेटी से ऐसा क्यों है व्यवहार।
बिटिया मेरी कहती बाहें पसार
उसको चाहिए बस प्यार और दुलार।।
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