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कहां खो गई इंसानियत 





✍️सुनील कुमार माथुर

भारतीय सभ्यता और संस्कृति की

सर्वत्र मिसाल दी जाती है चूंकि 

हमारी सभ्यता और संस्कृति 

आदर्श संस्कार सिखाती है 

हम विश्व के किसी भी कोने में जायें लेकिन 

भारतीय सभ्यता और संस्कृति 

ऊसके खान - पान , रहन - सहन को

हम कभी भी नहीं भूल पाते है  चूंकि 

हमारी सभ्यता और संस्कृति में प्यार है  , 

दुलार है  , स्नेह हैं  , वात्सल्य का भाव हैं  ,

करूणा हैं  , दया हैं  , क्षमा का भाव हैं लेकिन 

आज इंसानियत कहा खो गई 

सर्वत्र हिंसा  , मारपीट , खून खराबा ,

छेडछाड  , बलात्कार, हत्या एवं 

घिनौनी राजनीति का खुला खेल खेला जा रहा हैं 

जिसकी लाठी उसकी ही भैंस हो गई हैं 

अहिंसा की जगह हिंसा ने ले ली हैं 

दया , करूणा  , ममता  , प्यार , स्नेह व 

वात्सल्य व भाईचारे की भावना की बातें 

अब केवल भाषणों व किताबों तक में ही

सिमटकर रह गयी है 

आप देश के किसी भी कोने में चले जाईये 

आपकों कहीं भी इंसानियत नजर नहीं आयेंगी 

अगर कहीं इंसानियत नजर भी आई तो

तत्काल सरे आम उसका गला घोंटा जा रहा है 

न जानें मेरे इस देश को

किसकी नजर लग गई 

आज पीडितों के आंसू पोंछने में भी 

घिनौनी राजनीति हो रही हैं 

 

*जोधपुर राजस्थान 


 


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