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बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी इंदिरा गांधी


देश की प्रधानमंत्री स्व0 इंदिरा गांधी की देश भर में 31 अक्तूबर को पुण्य तिथि मनाई जायेगी । इंदिराजी एक कुशल राजनेता, गरिमामयी बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी थी। वे हर समस्या का समाधान काफी सूझबूझ के साथ करती थी।उन्होंने जिस सूझबूझ व कुशलता से शासन किया उसका लौहा न केवल विपक्षी दल ही मानते हैं अपितु समूचा विश्व मानता हैं। उनमें कार्य करने की अद् भूत क्षमता थी। वे एक बार किसी काम को करने की ठान लेती थी तो उसे पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ सम्पादित किया । उनकी कार्य करनी की एक अनूठी मिसाल थी। वे एक प्रेरक थी, एक चिंतक थी, एक अनमोल रत्न थी। इतना ही नहीं वे गरीबों की मसीहा थी, वे अदम्य साहस की धनी थी । 

अथक परिश्रम, असीम स्नेह, अटूट धैर्य, मंत्रमुग्ध वाणी, सच्चाई व ईमानदारी की प्रेरणा, सद् व्यवहार एवं पारिवारिक एकात्मक भाव का प्रकाश पुंज थी । उनकी वाणी में एक जादू था। जब वे बोलती थी तब लोग दूर से ही कह देते थे कि इंदिरा गांधी का भाषण आ रहा हैं । वे तो जन - जन की नेता थी और राजनीति उन्हें विरासत में मिली थी । 

उनके द्धारा राष्ट्र को दी गयी सेवा को आज भी देशवासी याद करते है चूंकि उनमें देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी। 

उन्होंने एक बार जन सभा में कहा भी था कि मेरे खून का एक - एक कतरा देश की सेवा के काम आयेगा और वही हुआ । दुःख तो इस बात का हैं कि वह कुशल नेता एक सिरफिरे के हाथों इस लोक को छोड़ परलोक सिधार गयी। वास्तव में  आपकी दूरदृष्टी व पक्का ही इस देश को उन्नति के पथ पर ले गया । 

सच्चे आदर्शो का मूल्य आपनें हमें सिखाया, सबका हित, मन की निर्मलता, सत्य, सादगी , स्वाभिमान का पाठ हमें  पढाया  कैसे भूल पायेंगे हम स्नेह, सम्बल , प्यार दुलार । कर्म, धर्म, सहिष्णुता की प्रेरणा नहीं भुला पायेंगे । आपके आलोकित पथ पर हम चलते ही जायेंगे ।कर्म, वचन और व्यवहार से जो हर मन में जगह बनाते है वे दूर चले जानें के बाद भी वे सदा हमें याद आते हैं । इंदिराजी के बिना यह संसार सूना लगता हैं । उनके बिना हर कार्य आधूरा लगता हैं । उनके बिना हर खुशी में गम हैं । उनके बिना आज भी आंखें नमः हैं । चूंकि वे तो बहुत ही मिलनसार, जिन्दादिल और बेमिसाल इंसान थी । उनके द्धारा दिये गये विचार और कुशल मार्गदर्शन हम सभी को आगे बढने की प्रेरणा देते रहेंगे ।

✍️सुनील कुमार माथुर

 


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