Subscribe Us

बाबा जुगनू बुलाते हैं





✍️प्रेम बजाज

आइ जब से मां की कोख में ,

मां की लाडली ,

बाप के घर की रोशनी सब कहते हैं  ,

मां ने रखा नाम रोशनी ,

बाबा जुगनू बुलाते हैं  ।

लगा कर के कलेजे से

मुझको पलकों पे सब बिठाते थे  ।

उड़ती फिरती घर आंगन में ,

पंख हवा में लहराते थे ‌।

जुगनू जैसी मेरी चमक

चांदनी देख सब हर्षाते थे ।

आंगन से पहुंची बगिया में ,

फैला दी रोशनी अपनी अंधियारी  रातों में ।

चमक के ऐसे उड़ी आकाश में 

तारा जैसे चमके नील गगन में ।

देखा फिर एक शैतान मच्छर ने

आंखों में उसके चुभ गई चमक मेरी

बस फिर समझो आ गई शामत मेरी ।

झट से आया पास मेरे वो ,

आकर के धर दबोचा मुझको

छीना-छपटी में पंख मेरे टूटे

चमक मेरी भी जाने कहां फिर खो गई वो । 

मां रोए ,बाबा आंसु बहाते हैं

कोई तो इन्साफ दिला दो ये गुहार लगाते हैं ।

देख के मेरा हाल

ऐसा सब परिंदे भी चादर तान के सोते हैं

ये जहरीले मच्छर आज फिर

किसी जुगनू को मसलने को

आजाद यूं घूमा करते हैं ।

*जगाधरी ( यमुनानगर ) 


 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब हमारे वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 







एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ