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अमिताभ बच्चन ने बिना गॉड फादर फिल्मी दुनिया में अपनी जगह बनाई

डॉ. देवेन्द्र जोशी की पुस्तक 'बेमिसाल 50 साल' का लोकार्पण संपन्न



उज्जैन। 'अमिताभ बच्चन का असली नाम इन्कलाब श्रीवास्तव था। संघर्ष के दिनों में हास्य अभिनेता मेहमूद ने उन्हें सहारा दिया था। वे बिना गॉड फादर के फिल्मी दुनिया में अपनी जगह बनाने वाले अभिनेता है। उनकी माताजी का नाम तेजी बच्चन नहीं तेजी सूरी था। अमिताभ का नामकरण मशहूर कवि सुमित्रानंदन पंत ने किया था। अमिताभ हिन्दी फिल्मों के एकमात्र ऐसे नायक है,जो एक साथ तीन पीढिय़ों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनका जीवन आम जन के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है।'
उक्त विचार मध्यप्रदेश लेखक संघ उज्जैन के तत्वावधान में आयोजित डॉ. देवेन्द्र जोशी की नई पुस्तक 'बेमिसाल 50 साल- महानायक अमिताभ बच्चन का सफरनामा' के लोकार्पण अवसर पर वक्ताओं ने बोलते हुए व्यक्त किए। प्रमुख अतिथि डॉ. उर्मी शर्मा, अध्यक्ष हरिमोहन बुधौलिया तथा समीक्षक के रूप में डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, श्रीराम दवे और डॉ. हरीशकुमार सिंह उपस्थित थे। विशेष अतिथि के रूप में रंगकर्मी भूषण जैन, विशाल कलम्बकार, प्रकाश देशमुख और आशीष जौहरी ने अमिताभ बच्चन से जुड़े अपने संस्करण सुनाए।
कृति की समीक्षा करते हुए शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि फिल्मों में लेखन प्राय: बहुत कम हुआ है। हिन्दी में इस विषय पर पुस्तकें लगभग नगण्य है। ऐसे में डॉ. देवेन्द्र जोशी की यह पुस्तक नये आयाम उद्घाटित करती है। इसमें जुटाई गई सामग्री निश्चित ही अध्येताओं और शोधार्थियों का मार्ग प्रशस्त करेगी। श्रीराम दवे ने इस अवसर पर कहा कि सदी के महानायक पर लिखी यह पुस्तक सहज, सरल, बोध गम्य और प्रवाहमय भाषा में लिखी गई एक ऐसी कृति है जो अपने आप में अनेक तथ्यों को उजागर करती है। पुस्तक लेखन की परिश्रमशीलता और जागरूकता को दर्शाती है, जिसके लिए लेखक बधाई और साधुवाद के पात्र है।
डॉ. हरीश कुमारसिंह ने इस अवसर पर कहा कि ख्यात पत्रकार लेखक, संपादक डॉ. जोशी की यह पुस्तक अमिताभ बच्चन के फिल्मी दुनिया में 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रकाशित होना एक महत्वपूर्ण घटना है। 27 अध्याय और 152 पृष्ठ की यह पुस्तक निखिल प्रकाशन आगरा से प्रकाशित हुई है। पुस्तक अद्यतन और प्रामाणिक जानकारी वाली होकर अमिताभ  बच्चन से जुड़े अनेक नए तथ्य उद्घाटित करती है। पुस्तक में अमिताभ बच्चन के विचार सूत्र और उनकी आने वाली फिल्मों की जानकारी सहित संपूर्ण फिल्मोग्राफी भी प्रस्तुत की गई है। आरंभ में अतिथियों का स्वागत डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा, संदीप सृजन, डॉ. राजेश रावल, मोहन बैरागी, पुष्पा चौरसिया आदि ने शब्द पुष्प गुच्छ (पुस्तक) भेंट कर किया। सरस्वती वंदना सीमा जोशी ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा ने दिया। इस अवसर पर पंकज पेढणेकर, दिलीप जैन, प्रो. अनामिका शर्मा सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। संचालन डॉ. देवेन्द्र जोशी ने किया। आभार पुष्पा चौरसिया ने माना।


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