✍️अशोक 'आनन'
विवशता
वे आज
हिन्दी में बतियाने को
विवश हैं ।
क्योंकि -
आज ' हिन्दी दिवस ' है ।
कमाल
'हिन्दी दिवस ' मनाते - मनाते
हिन्दी -
विस्थापित ।
और -
वे हो गए स्थापित ।
उपलब्धि
उन्होंने
जीवन भर जो नहीं पाया
वो
कुछ वर्षों में पा लिया ।
'हिन्दी दिवस'
तेरा लाख - लाख शुक्रिया ।
*मक्सी,जिला - शाजापुर ( म.प्र.)
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