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सूत्रधार और विश्व भाषा अकादमी की पंचम काव्य गोष्ठी सम्पन्न



हैदराबाद। सूत्रधार साहित्यिक संस्था हैदराबाद और विश्व भाषा अकादमी की तेलंगाना इकाई के संयुक्त तत्वावधान में पंचम् काव्य गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन गूगल मीट ऐप के माध्यम से किया गया। आज यहां पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा ने बताया कि इस काव्य गोष्ठी में जहां हैदराबाद के वरिष्ठ साहित्यकारों और नवोदित रचनाकारों ने भाग लिया, वहीं अन्य राज्यों के कवि-कवयित्रियां भी इसमें शामिल हुए। हैदराबाद के वरिष्ठ कवि आदरणीय भंवरलाल जी उपाध्याय ने इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता की, जो अपनी व्यंग्य रचनाओं के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। इस गोष्ठी में सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल से प्रसिद्ध कवयित्री रूबी प्रसाद जी विशेष अतिथि के रूप में सम्मिलित हुईं। वहीं वेदान्त दर्शन के ज्ञाता आदरणीय सुरेश जी चौधरी कोलकाता से और एडवोकेट अमृता श्रीवास्तव बैंगलुरु से शामिल हुए।

हैदराबाद की वरिष्ठ कवयित्री ज्योति नारायण की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात् संस्थापिका ने सभी सम्मानित अतिथियों और सहभागी सदस्यों का शब्द-पुष्पों से स्वागत किया। संस्था के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 'इस संस्था के गठन का उद्देश्य हिन्दी भाषा एवं साहित्य के उत्थान हेतु कार्य करना तो है ही साथ ही नवोदित रचनाकारों को एक मंच प्रदान करना भी है। आज बहुत से युवा लेखक हिन्दी भाषा में कविताएं लिख रहे हैं लेकिन उन्हें हिन्दी साहित्य के इतिहास की जानकारी नहीं है। इसलिए आज की यह गोष्ठी हमारे उन प्रिय साहित्यकारों के नाम पर रखी गई है, जिनकी बदौलत आज हमारे पास इतना समृद्ध साहित्य भण्डार उपलब्ध है। आज अपने प्रिय कवि की रचनाओं का पाठ करके हम अपने समृद्ध इतिहास एवं उसे बनाने वाले साहित्यकारों के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व से परिचित होंगे।'

आईटी प्रोफेशनल रितिका राय ने काव्य पाठ करते हुए कवि अहमद फराज की रचना- 'रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ' सुनाई तो आर्या झा ने बशीर बद्र की रचना 'अगर तलाश करूं, कोई मिल ही जाएगा' का पाठ किया। मंजुला दूसी ने छत्तीसगढ़ के विख्यात कवि सत्य प्रसन्न राव जी की कविता 'किसके पांव महावर वाले क्षितिज पृष्ठ पर गीत लिख गए' का वाचन करके श्रोताओं की वाहवाही लूटी। अमृता श्रीवास्तव ने जावेद अख्तर की कविता 'जिधर जाते हैं सब, जाना उधर अच्छा नहीं लगता' पढ़ कर सुनाई तो एक और आईटी प्रोफेशनल श्रीया धपोला ने प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की कविता 'जो बीत गई सो बात गई' का पाठ किया। श्रीमती ज्योति नारायण ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता- रहस्य 'तुम समझोगे बात हमारी' का सस्वर पाठ किया और उनके जीवन से जुड़े कुछ अनजाने प्रसंग भी सुनाए। डॉ.आर.सुमनलता जी ने भक्तिकाल के प्रसिद्ध कवि सूरदास का पद्य 'अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल' सुनाकर सबको भक्तिरस से आप्लावित कर दिया।

इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रदीप देवी शरण भट्ट ने दुष्यंत कुमार की गजल 'मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूं' प्रस्तुत की तो गजानन पांडेय ने प्रसिद्ध गीतकार गोपालदास नीरज की ग़ज़ल 'कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे' का पाठ किया। भावना पुरोहित ने अपने प्रिय कवि साहिर लुधियानवी के गीत 'अभी ना जाओ छोड़कर कि जी अभी भरा नहीं' को गाकर सुनाया। सुरेश जी चौधरी ने कैफी आज़मी की नज्म 'रुह बेचैन है, इक दिल की अज्जियत क्या है' प्रस्तुत करके सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शन सिंह जी ने अपनी कविता 'चिलचिलाती धूप में बारिश, लगा कि तुम आ गए' का वाचन किया। सुहास जी भटनागर ने अपने प्रिय कवि गुलज़ार साहब की नज्म 'रात को फिर बादल ने आकर' प्रस्तुत की। रूबी प्रसाद जी ने अपनी प्रिय कवयित्री अमृता प्रीतम की रचना 'मैं फिर लौटूंगी' और अपनी रचना 'जब एक पुरुष प्रेम करता है' प्रस्तुत करके श्रोताओं की तालियां बटोरी। सरिता सुराणा ने दिनकर जी के खण्ड काव्य 'रश्मिरथी' से एक खण्ड 'श्रीकृष्ण का दूत कार्य' का वाचन किया। अंत में अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए भंवरलाल जी उपाध्याय ने अपने कुछ मुक्तक सुनाए और अपने प्रिय कवि कदम गोंडवी की सुप्रसिद्ध गज़ल 'काजू भुने प्लेट में, व्हिस्की गिलास में, रामराज उतरा है विधायक निवास में' सुनाकर सबको हंसने पर मजबूर कर दिया। बहुत ही सरस और मनोरम वातावरण में काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई। सरिता सुराणा ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी सम्मानित सदस्यों का आभार व्यक्त किया। ज्योति नारायण के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी सम्पन्न हुई।


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