✍️बीना रॉय
शब-ए- हिज्र मे खुशनसीब हो गये
खुदा के बहुत हम करीब हो गये।
ऐशो-आराम ,दौलत कमाया बहुत
सांवरे तेरे बिन पर गरीब हो गये।
सीढ़ियां जो चढ़े कुछ बुलंदी के तो
अदू कुछ मेरे ही हबीब हो गये।
सच बयां करने वाले सम्हलना यहां
हर क़दम क़दम पे तेरे रक़ीब हो गये।
भीड़ मे भी दोस्तों के हैं तनहा सभी
दोस्ती के अब रसम कुछ अज़ीब हो गये।
प्यास मे वो तड़प के दरिया तक गया
ओस के बूंद ही पर नसीब हो गये ।
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