✍️बीना रॉय
एक बार हे विधाता हम सबको माफ़ कर दे
कांटे रह-ए-हयात से सभी के साफ़ कर दे
नामो-निशान भी ना हो कहीं गोले बारूदों का
दुनिया-ए-रंजिशों के साज़ोसामान ख़ाक़ कर दे
एक बार हे विधाता.…...
हर एक दिल में भर दे बस नेकियों के चाहत
पाकीज़गी से इस जहां को तू फिर आबाद कर दे
एक बार हे विधाता......
न करें जो कद्र नारियों की और मरवाए बेकसूर साधुओं को
ऐसे आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर दे
एक बार हे विधाता........
बिछड़ों को फिर मिला दे सारे गिले मिटा दे
और हिज़्र के मारों को नदीमों के साथ कर दे
एक बार हे विधाता.......
जिन गुनाहों के सज़ा में अब इंशा कैद-ए-मकां है
उनको भुला कर नष्ट सारे संताप कर दे
एक बार हे विधाता........
ओ सर्वशक्तिमान सबक ले चुकी ये दुनिया
रहमों-करम से मिन्नतों का इंसाफ कर दे
एक बार हे विधाता.......
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