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न जाने क्यों


✍️राजीव डोगरा 'विमल'


न जाने क्यों
खो सा गया है कही
मेरा मन।


न जाने क्यों
मिट्टी सा हो गया है
मेरा तन।


न जाने क्यों
टूट गया है,
उनकी याद में
ह्रदय का हर एक कण।


न जाने क्यों
बिखर गए है,
हर ख्वाब मेरे
फिक्र में उनकी हरदम।


*कांगड़ा हिमाचल प्रदेश


 


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