✍️राजीव डोगरा 'विमल'
न जाने क्यों
खो सा गया है कही
मेरा मन।
न जाने क्यों
मिट्टी सा हो गया है
मेरा तन।
न जाने क्यों
टूट गया है,
उनकी याद में
ह्रदय का हर एक कण।
न जाने क्यों
बिखर गए है,
हर ख्वाब मेरे
फिक्र में उनकी हरदम।
*कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब हमारे वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ