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कोरोना की लूट है, लूट सके तो लूट


✍️डॉ. चन्दर सोनाने


कोरोना से विश्व के सभी देश डरे हुए हैं । हमारे देश में भी लोग डरे हुए हैं , किन्तु निजी अस्पतालों ने इसे लूट का माध्यम बना लिया है। ये अस्पताल कोरोना के नाम से मरीजों और उनके परिजनों को कैसे लूट रहे हैं ? उसके दो उदाहरण आपको बताते हैं । आइये पढ़े , इनकी करतूतों की दास्तान -



सबसे पहले आपको ले चलते हैं , सुदूर क्षण के एक शहर चिकमंगलूर । जी हाँ , सही पहचाना आपने वही शहर जो देश भर में उस समय चर्चा में आया था , जब इस शहर से देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी ने लोक सभा का चुनाव लड़ कर उसे देश भर में चर्चित कर दिया था । किंतु इस बार ये शहर कोरोना के नाम से मरीजों के लूटने के नए नए तरीकों के कारण आजकल सोशल मीडिया में छाया हुआ है।


इसी शहर के एक अस्पताल का नाम है आश्रय हॉस्पिटल इसी अस्पताल में कोरोना का एक मरीज 24 अगस्त को भर्ती हुआउसे कुल 17 दिन भर्ती रहने के बाद 11 सितंबर को अस्पताल से छुी दी गई । कुल बिल आया 9,25,601 रू इस भारी भरकम बिल देख करअस्पताल वालों को मरीज पर दया आ गई।उन्होंने उदारता दिखाते हुए कुल 1 रु का डिस्कॉउन्ट दे दिया । जी हाँ , सही पढ़ा आपने कुल एक रु की छूट देकर वे दानवीर बन गए। पाठकों की सुविधा के लिए हम आपको बिल का हिंदी रूपांतर नीचे दे रहे हैं । कृपया पहले इसे देख लें, फिर उस पर बात करते हैं





आपने सेवाएँ के नाम से अस्पताल का कुल बिल 7,27,601 रु का देख लिया। इसमें आईसीयू के नाम से क्या क्या वसूला जा रहा है ! मरीज जब आईसीयू में ही है तो फिर उससे अलग अलग चार्ज के नाम पर कैसे मनमानी वसूली की गई है !


अब बात करते हैं , डॉक्टर विजिट चार्ज पर । एक नहीं , दो नहीं , पाँच - पाँच डॉक्टरों के नाम से अवैध रूप से मनमानी वसूली की गई है । क्या इसे उचित कहा जा सकता है ? केवल डॉक्टर विजिट के नाम पर ही 1,98,000 रु मरीज से वसूले गए हैं ! इसकी शिकायत कहाँ होगी ?


अब आइये, देखते हैं दूसरा उदाहरण उज्जैन में एक मरीज को कोरोना हो गया । वह एक निजी अस्पताल में भर्ती हुआ । पूरे एक सप्ताह उसे आईसीयू में रखा गया दो बार उसका कोरोना का टेस्ट हुआ । दोनों बार रिपोर्ट निगेटिव बताई गई , किन्तु मरीज की हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते गई । सौभाग्य से मरीज की पुत्री और दामाद दोनों दिल्ली में डॉक्टर थे। दोनों उज्जैन आये । मरीज की अपने स्तर पर जाँच कराने पर कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उन्होंने तुरन्त मरीज को अस्पताल से छु। करवाई और अपने इंदौर के परिचित डॉ के निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करवाया । वे एक सप्ताह तक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती रहे । मरीज के स्वास्थ में सुधार होने पर उन्हें प्राइवेट कक्ष में शिफ्ट कर दिया गया अब पढ़ें खर्चे के बारे में उज्जैन में रोज 25 हजार रुपये के मान से एक सप्ताह का बिल बना 1 लाख 75 हजार रुपये । अब इंदौर के हिसाब देखिए । रोज 50 हजार रुपये के मान से एक सप्ताह के मान से बिल हुआ 3 लाख 50 हजार रुपये । अभी तक का कुल खर्चा हुआ 5 लाख 25 हजार किन्तु अभी मरीज अस्पताल में ही भर्ती है ।


ये दो ही नहीं और भी कई उदाहरण हैं ! आपके पास भी जरूर होंगे । कोरोना के नाम की लूट है। सभी निजी अस्पताल मरीजों को लूटने में लगे हुए हैं कोरोना की लूट है , लूट सके तो लूट ! इन पर क्या रोक लगेगी ? कौन रोकेगा ?....


(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व जनसंपर्क अधिकारी है)


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