✍️सुजाता भट्टाचार्य
हिंदी भाषा की है यह परिभाषा,
इससे भारत के लोगों को है आशा।
इसके सरल-सहज स्वभाव ने बढ़ाई, इसे
सीखने की इच्छा बेतहाशा।
हर भारतीय के मन में जगाई इक आशा।।
अपना कर इसे हर प्रांत,हर व्यक्ति,
बढ़ा ली अपनी भाषा की शक्ति।
बोलने-लिखने की इसकी समरूपता,
बढ़ाए देश की यही तो एकता...
इस भाषा के हुए अनेकों दिग्गज,
जिन्होंने फहराया संस्कृति का ध्वज।
भारत की हर भाषा है निराली,
पर हिंदी भाषा बनी विश्व को जोड़ने की अधिकारी।।
इस भाषा के मुरीद हैं सब,
देशी-विदेशी माने इसे अपना रब...
अपनाकर इसे गर्वित हम सभी,
होता है हर्षित हर कोई इसे बोलकर कभी न कभी।
मन-मस्तिष्क में है छाई यह भाषा,
हां, हमारी हिंदी से सबको है बहुत आशा।
हिंदी भाषा की है यह परिभाषा,
इससे भारत के लोगों को है आशा।
इसके सरल-सहज स्वभाव ने बढ़ाई, इसे
सीखने की इच्छा बेतहाशा।
हर भारतीय के मन में जगाई इक आशा।।
अपना कर इसे हर प्रांत,हर व्यक्ति,
बढ़ा ली अपनी भाषा की शक्ति।
बोलने-लिखने की इसकी समरूपता,
बढ़ाए देश की यही तो एकता...
इस भाषा के हुए अनेकों दिग्गज,
जिन्होंने फहराया संस्कृति का ध्वज।
भारत की हर भाषा है निराली,
पर हिंदी भाषा बनी विश्व को जोड़ने की अधिकारी।।
इस भाषा के मुरीद हैं सब,
देशी-विदेशी माने इसे अपना रब...
अपनाकर इसे गर्वित हम सभी,
होता है हर्षित हर कोई इसे बोलकर कभी न कभी।
मन-मस्तिष्क में है छाई यह भाषा,
हां, हमारी हिंदी से सबको है बहुत आशा।
यही तो है देश की अभिलाषा,
इसकी उन्नति से मिलेगी,हम भारतीयों को दिलासा........
इसकी सुकृति है हमारी पिपासा.....
इसकी उन्नति से मिलेगी,हम भारतीयों को दिलासा........
इसकी सुकृति है हमारी पिपासा.....
*नई दिल्ली
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