✍️हमीद कानपुरी
दूध से जो कभी जला होगा।
छाछ भी फूँक पी रहा होगा।
काम छोटे करो ज़रा मिल कर,
काम कोई तभी बड़ा होगा।
साथ चलता न जो बुराई के,
साथ उसके नहीं बुरा होगा।
तब लगेगा ज़रा अधिक दमखम,
हाथ परचम अगर बड़ा होगा।
कारवां छोड़ कर गया जो कल,
आज दर दर भटक रहा होगा।
*कानपुर
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब हमारे वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ