✍️आकांक्षा राय
कहते हैं कि बुजुर्ग अनुभव का खजाना होते हैं। जहाँ पर अनुभव का संगम एकत्र हुआ हाेता हैं। और हम उस संगम से बहुत सी चीजें समझ सकते हैं, अनुभव कर सकते हैं। साथ ही समझ कर आगे भी बढ सकते हैं । हम कह सकते हैं कि बुजुर्ग ऐसे व्यक्ति होते हैं जिसके पास हर परेशानी की गुत्थी सुलझाने का कोई जादुई उपाय होता है। हम कह सकते हैं कि उनके पास हर ताले की चाभी हाेती है और साथ ही जादू की पाेटली भी होती हैं, जो खोल दो तो चाराे तरफ खुशीयां फैला देती हैं मैं मानती हूँ और बहुत से लोगों का भी यह मानना हैं कि किसी भी घर का श्रृंगार बुज़ुर्गाे से ही हाेता हैं वाे कह सकते हैं कि जिस प्रकार बिना नमक के भोजन का काेई स्वाद नहीं होता, ठीक उसी प्रकार से बुज़ुर्गाे के बिना घर का श्रृंगार पूरा नहीं होता है।
मैंने अनुभव किया है कि आज के इस आधुनिक दौर में पहले के भांति बुज़ुर्गाे काे वाे प्यार और सम्मान नहीं मिलता हैं। जिसके वाे सही मायने में हक़दार है। बहुत कम ही लाेग हैं जो इस बारे में साेचते हैं और समझते हैं । सबसे बड़ी विडम्बना तो ये है कि हमारे पास टाईम तो बहुत है पर समय नही कि हम पांच मिनट बैठ कर उनकी बाते सुने और समझे। हम युवा इतने व्यस्त हाे गए हैं कि घंटाे समय मोबाइल पर बिताते है पर कुछ समय अपने घर के बुज़ुर्गाे के लिए नहीं हाेता हैं ।
वाे पहले वाली बात नहीं रह गई जहाँ हम कहानियां नानी और दादी से सुना करते थे, साथ ही बाबा से पहाड़े याद किया करते थे । वाे मीठी सी डाट और एक रुपये का प्यार सब धीरे धीरे धीरे खत्म हो गया है। सारी जगह मानाे माेबाइल रूपी उपकरण ने ले ली हो। अब तो कहानियां भी माेबाइल ही सुनाता है। धीरे -धीरे , एक एक कर के सब कुछ माेबाइल छिनता जा रहा हैं। हम कह सकते हैं की आज के इस परिवेश में माेबाइल हम सभी को मुंह चिढाने का कार्य कर रहा हाे मानाे वाे कह रहा हाे की देखाे मैंने वास्तविक खुशीया तुम सब से छीन ली है,और काल्पनिक की और धकेल दिया हैं।
इस लिए अभी भी समय हैं हम,सभी को इस पर ध्यान देना चाहिए और संभल जाना चाहिए साथ ही सबकाे प्यार व सम्मान देना चाहिए। अपने घर के बुज़ुर्गाे काे समय देना चाहिए साथ ही उनसे उनकी कहानियों का और गिनतियाे का हक नहींं छिनना चाहिए। उनसे अनुभवों का खजाना एकत्र, करना चाहिए|
*गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
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