✍️नमिता गुप्ता 'मनसी'
मैनें..
सूरज को अर्घ्य दिया
और उसने वरदान में दी
थोड़ी सी रोशनी ,
इस तरह मैं बन गई आंगन की सुबह !!
मैनें..
चांद को जी भर निहारा
उसने श्रृंगार किया मेरा
अपनी चांदनी से ,
इस तरह मैं बनी रात की सुंदरता !!
मैंने..
तारों से साझे किए
सुख-दुख ,
मन की एक-एक बात बताई ..
उन्होंने शब्द दिए
"कविता" के लिए ,
और इस तरह मैने कविता लिखी !!
*मेरठ
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