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अंतराष्ट्रीय वेबिनार में हिन्दी को लेकर मंथन



जयपुर। हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान द्वारा हिन्दी की वर्तमान में दशा व दिशा विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया । इस दौरान भारत के साथ ही अनेक विदेशी हिन्दी के जाने माने विद्वत जनों ने अपने विचारों से लाभान्वित किया । ऑन लाइन वेबिनार के दौरान अनेक सामजिक साहित्यिक संस्थाओँ के लोग भी जुड़े हुए थे । वेबिनार में सभी वक्ताओ ने हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए सभी के एकजुटता से साथ रहने का भरोसा दिलाया ।  कार्यक्रम संयोजक रेनू शब्दमुखर के शानदार संचालन में लगभग 3 घंटे चली इस कार्यक्रम में देश-विदेश से जुड़े प्रतिभागियों ने शानदार कार्यक्रम में जुड़कर अपने आपको गौरवान्वित महसूस किया।


हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के अध्यक्ष डॉ अखिल शुक्ला ने संस्थान की जानकारी देते हुए कहा कि संस्था का प्रमुख उद्देश्य हिंदी और अहिंदी क्षेत्रों में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है।साथ ही उन्होंने  कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विश्व मे हिंदी की पताका फेहरा रखी है। कार्यक्रम के मुख्य रूप से प्रो. नंद किशोर पांडे पूर्व निदेशक केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा ने अपने आतिथ्य भाषण में कहा राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करने में हम हिंदी भाषियों को ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और नई शिक्षा नीति की सराहना करते हुए कहा कि इससे हिंदी भाषा को बढ़ावा मिलेगा।


प्रोफेसर केशरी लाल वर्मा कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ से अपने उद्बोधन में हिंदी की दशा और दिशा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्राचीन समय से गांधी जी के सहयोग को याद किया । वैज्ञानिक शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रो.अवनीश कुमार ने कहा कि हिंदी जनमानस की सरल भाषा है और हमें विश्वास है कि भारत सरकार हिंदी के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं।  डॉ.राकेश शर्मा उपनिदेशक केंद्रीय हिंदी निदेशालय शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने पूरे देश में हिंदी के लेखकों को आगे बढ़ाने हेतु कई योजनाएं भारत सरकार की ओर से बनाई गई हैं।


वरिष्ठ पत्रकार और सम्पर्क संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा  ने हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के हिंदी के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आज हिंदी के विश्व पटल पर बढ़ते कदम हिंदी के लिए शुभ होने का संकेत है। भाषा व पुस्तकालय विभाग राज. सरकार की पूर्व उपनिदेशक डॉ. ममता शर्मा ने अपने प्रेरक व्यक्तित्व में इस  वेबीनार की की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज के यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर से जुड़कर इसका स्वरूप विस्तृत हो गया है। टोरंटो कनाडा रहने वाली गार्गी शुक्ला पाठक ने अपने भाषण में कहा कि हिंदी में विद्वत जनों को सुनना गौरव का विषय है। हिंदी को लेकर विदेशों में बसे भारतीय लोगों में विशेष उत्साह है और वे सभी आनंद व गर्व के साथ हिंदी बोलते हैं ।


दिल्ली अमेरिका में 17 साल से अध्यापन करने वाले कीर्ति रछोया ने कहा कि जहां तक संभव हो वे हिंदी में ही वार्तालाप करने की कोशिश करती हैं और अपने परिवार में हिंदी बोल कर वे अपने बच्चों को हिंदुस्तानी सभ्यता से जोड़ पा रही हैं। हिंदी से लगाव रखने वाले लंदन में रहने वाले मनीष रछोया ने कहा कि लंदन में बहुत कम हिंदी साहित्य मिलता है तो उनकी कोशिश रहती है कि वे हिंदी कवियों और लेखकों की किताबें भारत से ले जाकर  यहाँ सभी को उपलब्ध कराएं। बेहरीन से जुड़ने वाली रश्मि तिवारी ने कहा कि विदेश में रहने के बावजूद वहां पर रहने वाले भारत के नागरिक जब हिंदी में बातचीत करते हैं तो अपनेपन का एहसास होता है और भारत माता की याद आती है।


महाराष्ट्र से पत्रकार अनुभा जैन ने हिंदी पत्रकारिता में हिंदी का वर्चस्व  व सम्मान बड़ा है। हिंदी पत्रकारिता का पूरे विश्व में सम्मान बढ़ा है। तकनीकी विषय में भी हिंदी में अपनी महत्ता स्थापित की है। छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय नवीं मुंबई के कुलाधिपति डॉ केशव बढ़ाया ने कहा कि हिंदी हमारी आन बान और शान है। पूरे विश्व में हिंदी को बोलने और समझने में हिंदी से प्यार करने वाले लोगों की बड़ी तादाद है। संपर्क संस्थान व लेखिका संस्थान से लता सुरेश,ज्ञानवती सकसेना ,नीलम कालरा ,मीनाक्षी मेनन,डॉ. जयश्री जी सहित अनेक  गणमान्य साहित्यिकार उपस्थित थे। अंत मे संस्थान के कुलसचिव अविनाश शर्मा ने संगोष्ठी में आये सभी महानुभवों का तहे दिल से आभार व्यक्त किया।


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रेनू शब्दमुख


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