✍️रविकान्त सनाढ्य
आत्मविश्वास भरो मन में,
बाधाएँ टिक न पाएँगी !
बढ़ो आगे तुम कर संकल्प,
तुम्हारी जय हो जाएगी ।
वीरता हो मन में उत्साह,
निराशाएँ छँट जाएँगी ।
गढ़ो तुम एक नया इतिहास,
सफलता निश्चित आएगी ।
सुनो तुम हो प्रकाश के पुत्र,
पीढ़ियाँ भी तर जाएँगी ।
उठो तुम दृढ़प्रतिज्ञ हो बंधु
लीक तुमसे बन जाएगी ।
चलो,तुम करो शंख का नाद,
राह सबको मिल जाएगी ।
हो अमर सांस्कृतिक नाद
व्यथाएँ सब मिट जाएँगी ।।
*भीलवाड़ा
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