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सूत्रधार साहित्यिक संस्था द्वारा तृतीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन



सूत्रधार साहित्यिक संस्था, हैदराबाद के तत्वावधान में 1अगस्त शनिवार को ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। आज यहां पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा ने बताया कि इस गोष्ठी की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के लब्ध प्रतिष्ठित कवि आदरणीय सत्य प्रसन्न राव जी ने की। संस्थापिका ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात् गोष्ठी में भाग लेने वाले सभी सहभागियों का स्वागत किया और संस्था के गठन से लेकर वर्तमान में संचालित गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्था के गठन का मुख्य उद्देश्य नवोदित युवा रचनाकारों को एक मंच प्रदान करना तो है ही, साथ ही उन्हें स्थापित साहित्यकारों के साथ जोड़ना भी है ताकि उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करके वे अपनी साहित्यिक यात्रा को गति प्रदान कर सकें।


 इस गोष्ठी की विशेषता यह रही कि इसमें सम्पूर्ण भारत वर्ष के अलग-अलग राज्यों में निवासित वरिष्ठ एवं युवा  साहित्यकारों ने भाग लिया। इस गोष्ठी में सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल से विख्यात कवयित्री बबीता अग्रवाल कंवल जी ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। वेदांत दर्शन के ज्ञाता ख्यातिप्राप्त साहित्यकार, सुरेश जी चौधरी ने कोलकाता से अपनी सहभागिता दर्ज कराई। वहीं अमृता श्रीवास्तव जी, जो पेशे से वकील हैं और कविताएं भी लिखती हैं ने बैंगलुरु से और युवा कहानीकार ऐश्वर्यदा मिश्रा ने रांची, झारखण्ड से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। युवा इंजीनियर कवि रमाकांत श्रीवास एवं आदरणीय सत्य प्रसन्न राव जी ने भी छत्तीसगढ़ से इस काव्य गोष्ठी में भाग लेकर इसे गरिमामय बनाया। इस गोष्ठी में भाग लेने वाले अधिकांश सदस्य या तो किसी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं या आईटी प्रोफेशनल हैं लेकिन हिन्दी भाषा में लिखने में रुचि रखते हैं।

इस काव्य गोष्ठी में भाग लेने वाले कवियों-कवयित्रियों ने विभिन्न अलग-अलग विषयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

मंजुला दूसी ने 'तुम बरखा की शीतल बौछार, मैं गर्म हवा का झोंका हूं' प्रस्तुत की तो श्रीया धपोला ने 'लोगों की बातों को तू दिल से कभी लगाना मत' का पाठ किया। रमाकांत श्रीवास ने विकास दुबे एनकाउंटर पर लिखी कविता 'खुद को शहंशाह समझता था' तो आर्या झा ने 'छोटी-छोटी खुशियों में समाई पूरी दुनिया' सुनाकर श्रोताओं की तालियां बटोरी। ऐश्वर्यदा मिश्रा ने अपने व्यंग्य मिश्रित अंदाज में 'एक्सपेरिमेंटल वाइफ' का पाठ कर सबको ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। दर्शन सिंह जी ने 'विजय सत्य की' रचना प्रस्तुत की तो प्रदीप जी भट्ट ने 'बेवजह खुर्शीद पर उंगली उठाया मत करो' का पाठ किया। सुहास जी भटनागर ने 'मुझे रिश्तों की हर वो दरार अजीज़ है' रचना पढ़ी तो अमृता श्रीवास्तव ने 'खामोश अकेले जलते क्यों हो' कविता सुनाई। 

वरिष्ठ कवयित्री ज्योति नारायण जी ने राखी पर 'वह घरौंदों के दिन ढूंढती हूं' और रितिका राय ने वर्तमान विसंगतियों पर कटाक्ष करते हुए 'हर दिन पहन कर मुखौटा नया' रचनाएं प्रस्तुत की। सुरेश जी चौधरी ने नारी शक्ति के सम्मान में 'मेरे देश की नारियां बड़ी विचित्र है' कविता का पाठ किया तो बबीता अग्रवाल जी ने पुलवामा हमले पर आधारित 'अकेले में फिर से फूटी रुलाई' का सस्वर पाठ किया। सरिता सुराणा ने समसामयिक विषय कोरोना महामारी से संबंधित रचना 'गुमान दौलत का' प्रस्तुत की। अंत में अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए सत्य प्रसन्न राव जी ने अपनी कई रचनाओं का पाठ किया जैसे-


प्रीत लिखना तुम मुझे मनुहार लिखने दो।

जीत लिखना तुम मुझे तो हार लिखने दो। 

धीरे-धीरे आसमान से उतरा सोनिल भोर।

प्राची के आँगन में ऊषा हर्षित और विभोर।

प्यास उस खूँटी टँगी है, भूख है इस अलगनी पर।

जिंदगी के घर में साँसें, रह रही हैं अनमनी पर।


उन्हें सुनकर सभी ने अपने भाग्य की सराहना की कि उन्हें इतने विद्वान साहित्यकार को सुनने का अवसर मिला। सभी सहभागियों ने गोष्ठी की सफलता के लिए संस्थापिका का आभार व्यक्त किया। पुनः शीघ्र ही मिलने के वादे और धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी सम्पन्न हुई।

 


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