✍️डॉ. अनिता जैन 'विपुला'
गलतफहमी से रिश्ते दरक जाते हैं।
जब संवादों के सेतु सरक जाते हैं।
भरम, सन्देह या शंका भरी दरारें,
जिनसे ऊँचे मीनार लटक जाते हैं।
सम्बन्धों की श्रृंखला से शंका हटे,
तब विश्वास के मोती चमक जाते हैं।
ग़लतफ़हमियों की सड़ांध न फैले कभी,
साफ़ बयानगी से मन महक जाते हैं।
जब टूट जाते दिलों के प्यारे बंधन,
बेज़ार दिल को ये दे सबक जाते हैं।
सही को सही जो रहने न देती नज़र,
वे धुँधलाये नज़रिये बहक जाते हैं।
'विपुला' चाहे हो बस सीधी बातचीत,
संवाद से सब शिकवे झटक जाते हैं।
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