✍️पूनम चौहान
रक्षाबंधन त्याग का , प्रीत भरा त्यौहार।
रिश्ता भाई-बहन का, ईश्वर का उपहार।।
भेजी पाती प्रेम की, कर लेना स्वीकार।
भाई बिन फीका लगे, राखी का त्यौहार।।
आँसू बरसे आंख से, भैया कितनी दूर।
विगत बरस हम साथ थे, अबकी हम मजबूर।।
निश्चल धागे प्रेम के, भाव भरा अरमान।
इक दूजे में बस रही, इक दूजे की जान।।
धागों में लिपटा हुआ, भेज रही हूँ प्यार।
छोटी बहना कह रही, कर लेना स्वीकार।।
रक्षाबंधन प्रेम का, न है इसका मोल।
रिश्तो में सबसे बड़ा, यह बंधन अनमोल।।
*मुरादाबाद
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