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रक्षा बंधन पर दो बाल कविताएँ



✍️राजकुमार जैन राजन

● राखी का त्योहार ●

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राखी    के   दिन  भैया  से

बोली जाकर  प्रिय   बहना

भैया ,  हरदम   तुम    मेरी

आँखों  के आगे  ही रहना।

 

बांध  रही हूं हाथ     तुम्हारे

रक्षा        का           बंधन

इस बंधन की लज्जा रखना

मांगू       यही         वचन ।

 

अक्षत, कुमकुम, रोली, टीका

श्रीफल      मैं      हूँ       लाई

मेरे   हाथों  से    मुंह    मीठा

कर       लो      मेरे     भाई।

 

रेशम  के   धागों   के   बदले

चाहूँ          यह        उपहार

साथ - साथ  हर साल मनायें

राखी       का          त्यौहार।

 

 

● अच्छे भैया ●

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मेरे   भैया   सबसे     प्यारे

लगते  मुझको  सबसे न्यारे।

 

कभी  नहीं  वे करें   लड़ाई

करते   हैं  हर  वक्त   पढ़ाई।

 

रोज   शाम  को  हमें बुलाते

अच्छे - अच्छे  गीत   सुनाते।

 

जब मुझपर मुश्किल आ जाती

भैया   से  उसको    सुलझाती।

 

लिखते   हैं  वे  नाटक   ज्यादा

पूरा  कभी,  कभी  तो  आधा।

 

खीर   उन्हें   है  ज्यादा   भाती

माँ  उनको  बस यही खिलाती।

 

बार - बार    भगवान    मनाऊं

जनम - जनम  भैया को पाऊं।

 

जितने  भी  हैं  हम   सब बच्चे

भैया   उनमें   सबसे     अच्छे।

 

*आकोला( चित्तौड़गढ़),राजस्थान

 


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