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रात अंधियारी कारी,जब जन्मे कृष्ण मुरारी



✍️गोपाल कृष्ण पटेल

 

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। देवताओं में भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनके जीवन के हर पड़ाव के अलग रंग दिखाई देते हैं। उनका बचपन लीलाओं से भरा पड़ा है। उनकी जवानी रासलीलाओं की कहानी कहती है, एक राजा और मित्र के रूप में वे भगवद् भक्त और गरीबों के दुखहर्ता बनते हैं तो युद्ध में कुशल नितिज्ञ। महाभारत में गीता के उपदेश से कर्तव्यनिष्ठा का जो पाठ भगवान श्री कृष्ण ने पढ़ाया है आज भी उसका अध्ययन करने पर हर बार नये अर्थ निकल कर सामने आते हैं। भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेने से लेकर उनकी मृत्यु तक अनेक रोमांचक कहानियां है। इन्ही श्री कृष्ण के जन्मदिन को हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले और भगवान श्री कृष्ण को अपना आराध्य मानने वाले जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिये भक्तजन उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं। “जो प्रेम से दिए माखन मिश्री पे रीझ जाये। जिसकी सिर्फ एक मुस्कराहट सारे दुःख हर ले जाये।” कहते है स्वभाव से कृष्णा बहुत नटखट है। लेकिन अपने भक्तो के अधीन है। जिसका जैसा भाव उसके अनुरूप वो ढल जाते है।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है। जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।

जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं। छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में सफल हो जाती है वह इनाम का हकदार होती है। 

इस प्रकार श्रीकृष्ण जन्म जन्माष्टमी बहुत ही धूम धाम ओर हर्षोउल्लास से मनाने वाला त्योहार है। हमे भागवत गीता में दिए गए श्रीकृष्ण के उपदेशो का पालन करना चाहिए और इन्हें अपनाना चाहिए। मान्यता भी है कि जब-जब धरती पर पाप और अत्याचार जन्म लेगा तब-तब कोई बड़ी शक्ति का भी जन्म जरूर होंगा इसलिए हम मनुष्य को इस बात का ध्यान रखते हुए सत्कर्म ओर सच्चाई की राह में चलना चाहिए और किसी भी तरह के पापो से बचना चाहिए।


*जांजगीर छत्तीसगढ़

 


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