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राखी आई



✍️प्रेम बजाज

आया सावन राखी आई बहना प्यारी फूली ना समाई 

रौली-मौली, राखी- मिठाई इन सबसे थाल सजाई  ।

तिलक करती , बलैयां लेती भाई की आरती उतारती 

प्रीत के इन धागों के संग भाई पर अपना प्यार बरसाती ।

 

बहना भाई को बांधे एक सूत का कच्चा धागा 

भाई भी  रक्षा का  बहना को  है  करता वादा ।

सब  दु:ख - सुख  बहना  तेरे  हर  लूंगा  मैं 

आंच  तुझ  पर  कभी  भी  ना आने  दूंगा  मैं ।

 

रेशम के धागे में हमको अनमोल हैं लगते 

हीरे-जवाहरात भी इनके सामने फीके लगते ।

बहना रूठे भाई मनाए, भाई रूठे बहना मनाती 

जिनकी बहना प्रदेश बसे याद उनकी बहुत सताती ।

 

रंग- बिरंगे इन धागों में देखो कैसा प्यार है छुपा 

इन धागों में भाई के लिए बहन बांध देती दुआ 

श्रावण मास की शुक्ल पूर्णिमा को सब राखी मनाओ 

एक- दूजे पे प्यार लुटाओ भाई अपने से तोहफ़े पाओ ।

 

*जगाधरी ( यमुनानगर ) 

 


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