✍️डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
जय हो, जय, श्री राधिका रानी,
जय-जय तेरी, वृषभानु लली।
बरसाने वाली, की जय जय,
राधे-राधे, की ये टेर भली।
मथुरा-वृंदावन-नंदगांव हो
या बरसाना,गोकुल की गली।
ब्रजमंडल में राधे राधे,
राधा श्री नाम बयार चली।।
प्रीत की रीत दिखाई जगत को,
सदा ही रहे कान्हा की दीवानी।
प्रेम किया बस प्रेम किया,
हुई न कभी मन से अभिमानी।
राधा का नाम ही संग में जोड़ के,
राधा-कृष्ण जपते मुनि ज्ञानी।
नंद के लाल, श्री कृष्ण गोपाल की,
प्यारी सखी श्री राधिका रानी।।
राधा बिना श्री श्याम अधूरे,
श्याम बिना श्री राधा अधूरी।
दोनों ही नाम मिले हैं जब,
हो राधे श्याम की जय-जय पूरी।
बरसाने वाली लली श्री राधा,
नाप चली नंद गांव की दूरी।
नंद का लाला बाला गोपाला,
करना चाहे इनकी ही मजूरी।
कण कण राधा नाम पुकारे।
राधा का नाम अति गुणकारी।
इनका जाप करें जो जन,
उन पर कृपा करें बांके बिहारी।
पूर्ण हो सब मनोकामना
पाते सारे सुख संसारी।
दर्शन हो जाते राधे कृष्ण के
युगल छवि दर्शन मनोहारी।।
*धामपुर उत्तर प्रदेश
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