✍️अशोक 'आनन'
रो - रोकर तुझसे , पूछता है तेरा भाई ।
राखी पर क्यों सूनी थी , मेरी ये कलाई ?
सपनों में भी थी न , मुझे यह कल्पना ।
मुझे ही भूल जाएगी , मेरी प्यारी बहना ।
सदियों की तूने , ये रीत क्यों भुलाई?
राखी पर क्यों सूनी थी , मेरी ये कलाई ?
बहनों को बाॅंधते हुए , देखकर ये राखियाॅं ।
टप - टप टपकने लगीं , आंसू की ये लड़ियाॅं ।
बहन ! तूने आकर , क्यों प्रीत न ये निभाई ?
राखी पर क्यों सूनी थी , मेरी ये कलाई ?
दुश्मन की भी सूनी , न रहे कभी कलाई ।
भाई से बहन, बहन से न रूठे कभी भाई ।
बहन ! कभी तुझे , न भूल पाएगा ये भाई ।
राखी पर क्यों सूनी थी , मेरी ये कलाई ?
*मक्सी,जिला - शाजापुर ( म.प्र.)
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