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नारी का न कोई विकल्प



✍️डॉ अर्चना प्रकाश


नारी का न कोई विकल्प ,
मिला न कोई पर्याय ।
नारी बस नारी ही है,
वह एक महा अध्याय ।
तुमने दिए लांछन अनेक ,
लपटों में डाला अकारण ।
वह सीता बन हुई महान ,
तन मन बना धर्म पुराण ।
तुम व्यर्थ श्राप देते रहे ,
विश्वासों के तोड़े उपमान ।
वह पाषाड़ी हुई अहिल्या ,
धीरज संबल का आख्यान ।
तोड़ी तुमने मर्यादाये ,
दैहिक भूगोल में तुम डूबे ।
मातृत्व संजोया उसने ,
किया सृष्टि का नव निर्माण ।
प्रेम गीत गाए तुमने ,
गीतों का मर्म न समझे तुम ।
वह आलौकिक मधुबाला ,
हृदय धरे अमृत प्याला ,
विष प्याले तुम देते रहे ,
वह मीरा भक्त महान हुई ।
जितने नस्तर बिंधे हृदय में ,
वह उतनी शक्तिमान हुई ।
पग पग चुभे कांटे जितने ,
वह उतनी भव्य विराट हुई ।

*लखनऊ


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