✍️डॉ.नीलम खरे
नंदलाल तुम धर्म थे,सच्चाई का मान ।
तुमने नारी को दिया,कदम-कदम सम्मान ।।
गायों के रक्षक बने,बनकर के गोपाल ।
दही-दूध से प्यार था,प्यारे थे सब ग्वाल।।
कृष्ण रूप में तुम बने,राजनीति का सार ।
कितना सुंदर कर दिया,प्रभु तुमने संसार ।।
बन अर्जुन के सारथी,थे सखत्व का मान।
योगेश्वर तुम ज्ञान थे,गीता की पहचान।।
शांति,प्रेम के वास्ते,बने आप रणछोड़।
इंसानी ज़ज़्बात को,दिया सुहाना मोड़।।
संस्कार तुमसे बचे,तुमसे ही तो न्याय।
पल पाया किंचित नहीं,उस युग में अन्याय।।
गहन तिमिर को मारकर,फैलाया उजियार ।
वासुदेव तुमने रचा,प्यार-प्यार बस प्यार ।।
आप आज भी हैं प्रखर,बांट रहे सत्कर्म।
शीश झुकाती 'नील' यह,और सदा ही धर्म ।।
*मंडला(मप्र)
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