Subscribe Us

कोई ग़म नहीं



✍️राजेंद्र श्रीवास्तव     
जिएँगे हमेशा मुस्कुराते रहेंगे ,
कि अब ज़िंदगी में कोई ग़म नहीं
                   कोई ग़म नहीं
लबों पे तराने अब आते रहेंगे
कि अब ज़िंदगी में कोई ग़म नहीं I
                    कोई ग़म नहीं।
बहारें चमन में आती रहेंगी
मोहब्बत के नग़मे सुनाती रहेंगी,
कोई गिला ना शिकवा करेंगे,
कि अब ज़िंदगी में कोई ग़म नहीं,
                   कोई ग़म नहीं।
जब आएँगी जीवन में सावन की रातें
याद आएँगी उनसे हुई मुलाक़ातें,
मिलन के वो नग़मे गुनगुनाते रहेंगे,
कि अब ज़िंदगी में कोई ग़म नहीं
                    कोई ग़म नहीं।
लबों पे तराने अब आते रहेंगे
कि ज़िंदगी में कोई ग़म नहीं,
                   कोई ग़म नहीं।

*भिलाई नगर,दुर्ग


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ