✍️मीरा सिंह 'मीरा'
मेरी सूरत कोई देख पाता नहीं
मैं किसी को नजर आता नहीं।
मेरा नाम होठों से लेते हैं
मगर दिल से कोई बुलाता नहीं।।
बांसुरी बजाता हूं मैं मगर
मुझको कोई सुन पाता नहीं ।
निज स्वार्थ में डूबे सारे लोग
भक्ति का धुन कोई गाता नहीं।।
मुझसे मिलने की करते हैं बातें
मेरे दर पर कभी आते नहीं।
मंदिरों में तलाशा करते हैं मुझे
अपने अंतर में देख पाते नहीं।।
भक्ति के सागर में डूबकर
मेरे पास कोई आता नहीं।
इल्जाम लगाते हैं लोग यूं ही
कान्हा बंसी बजाता नहीं।।
*डुमरांव, जिला-बक्सर, बिहार
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