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जो न तेरा सहारा मिलेगा हमें....



✍️ रामगोपाल राही

 

देख भौतिकता दामन पसारे खड़ी,

पंच तत्वों को भय है कि पिट जाएँगे |

वायु दूषित प्रदूषित हो जल खो गया ,

आग सीने में सीने वो फट जाएँगे ||

ब्रह्म ब्रह्मांड आभा भटकती लगे 

देख   सृष्टि प्रकृति दरकती लगे |

सृष्टि नश्वर ,अनश्वर में निहारेगा क्या ,

माना सत्य तू -कथ्य यह मिट जाएँगे |

|जो न तेरा सहारा मिलेगा हमें, 

जग  के सारे नजारे सिमट जाएँगे ||

 

जग सिमटता लगे , चाँद घर सा लगे ,

भूमि चिंतित धरातल भी फट जाएँगे |

वृक्ष वन जीव जन्तु प्रजाति मिटी ,

ज्वार सिन्धु में ग्लेशियर पिघल जाएँगे ||

दुखड़े इतने कि  मुखड़े  न मुखड़े लगे ,

बंद होठों में दम गम में  घुट जाएँगे |

दम्भ  इतना ह्रदय जन गगन चूमता   ,           

उल्टा पुल्टा सभी कुछ यह कर जाएँगे ||

जो  ना  तेरा  सहारा  मिलेगा  हमें ,

जग  के सारे नजारे सिमट जाएँगे ||

 

आस  तेरी टिका यह  गगन देखले ,

ध्यान भक्ति में तेरे शिवम देखले |

सौरमण्डल धरा सिन्धु में तू ही तू ,

खोल पलकें हुआ क्या जगत देखले ,

राह तेरी तके ,बाट जोह के थके,

कौन तेरे को तेरे  यहाँ मिल पाएँगे |

लेके अवतार के आ , जग के दातार आ ,  

भृष्टाचार ,-तभी यहाँ  पे  मिट पाएंँगे ||

जो न तेरा सहारा मिलेगा हमें, 

जग  के सारे नजारे सिमट जाएँगे ||

 

*पो. लाखेरी जिला बूँदी (राज)

 


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