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द्वारिका के नाथ



✍️रामगोपाल राही

 

दीन के सहारे प्रभु कष्ट से उबरे प्रभु 

महिमा अनंत हरि द्वारिका के नाथ की |

ब्रह्म पर ब्रह्म  चहूँ लोक परलोक माहीं 

गाथा है अनन्त प्रभु द्वारिका के नाथ की ||

 

गोमती के तट धाम शोभा बड़ी अभिराम ,

ध्वजा है अनोखी प्रभु ,द्वारिका के नाथ की |

गाथा है पुराण कहें ,गीता ,ग्रंथ सारे कहें ,

महिमा ना बिसारे प्रभु द्वारिका के नाथ की ||

 

गोमती के तट तीर -नीर प्रतिबिंम्ब तहाँ

छवि वहाँ निराली हरि द्वारिका के नाथ की |

सुरति  अनोखी तहाँ - मूरति अनोखी तहाँ, 

मन हरि  लेत छटा ,द्वारिका के नाथ की     ||

 

पाप ,शाप ,दुख, मिटे,  मोक्ष को है द्वार तहाँ 

कहते हैं पुराण कथा ,द्वारिका के नाथ की |

रहती ना निराशा मिले ,आशा विश्वास तहाँ

ख्याति त्रिलोक माहीं द्वारिका के नाथ की ||    

 

*लाखेरी ,जिला बूँदी 

 


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