✍️अशोक 'आनन'
अटल आप , चिर - अटल अटलजी !
काव्य - कर्म आप सफल अटलजी !
इस माटी पर हैं जो ऋण आपके -
उनसे हो सकते न उऋण अटलजी !
यादें ही अब शेष रहीं अटलजी -
बगिया उनसे महक रही अटलजी !
यादों में अब जन - जन की आंखें -
मेघों - सी बस छलक रहीं अटलजी !
हर घर में जन्मे अटल अटलजी !
कर्म हो जिसके हर धवल अटलजी !
यश जिसका फैले दिनमान सरीखा -
सुबह - शाम फिर नवल अटलजी !
चंदन - सी महके माटी अटलजी !
वृंदावन - सी हो भू पवित्र अटलजी !
गूंजें चहुंओर सदा कविताएं आपकी -
मीरा के गीत - भजन - सी अटलजी !
देश - हित ही था नयन - स्वप्न अटलजी -
लोकतंत्र का न कुम्हलाए प्रसून अटलजी !
मानवता का हो न अवमूल्यन कभी भी -
नैतिकता का हो नव - सृजन अटलजी !
*मक्सी,जिला - शाजापुर ( म.प्र.)
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