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भावनाएँ



✍️रश्मि वत्स

गहन भावनाएँं करती कभी हृदय में हलचल,
न कोई रूप न ही कोई है आकर ।
वो मुसकुराती कभी सहर्ष ,
तो कभी हृदय में व्यथित करते विचार ।

मन में उमड़ता जब सैलाब,
बहे नैनों से अश्रु धार ।
आंनदित होता जब हृदय,
तो प्रीत बन निखरता व्यवहार।

सुखद अनुभूति का अनुभव कराती,
जाने कितनी भावनाओं का होता संचार।
तो कभी अवसाद ग्रसित होकर ,
समय के साथ बदलता है विचार ।

संघर्ष कर पा लेता काबू भावनाओं पर ,
वही बनता है मनुष्य महान ।
बिखर जाता जो इस जीवन में
वही मनुष्य तज देता है अपने प्राण।

*मेरठ(उत्तर प्रदेश)


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