✍️टीकम चन्दर ढोडरिया
आयी बहना आज घर,लेकर नेह अपार
महका मनका आँगना,विहँसा सूना द्वार
विहँसा सूना द्वार ,लगा कर अक्षत रोली
बाँधा रक्षा सूत्र, भरी खुशियों से झोली
कह "चन्दर" कविराय,हँसी अधरों नें पायी
जग भर का उल्लास, लिये बहना है आयी
***
कच्चा धागा नेह का,बाँध हाथ में आज
बोली बहना बीर से, रखना इसकी लाज
रखना इसकी लाज,कभी ना मुझें भुलाना
जीवन है दिन चार, सदा तुम साथ निभाना
कह "चन्दर" कविराय, भाव का बंधन सच्चा
सारे जग का प्यार, बाँधता धागा कच्चा
***
बहना तू आयी नहीं, राखी पर इस बार
सूना-सूना सा लगा,मुझकों यह त्योहार
मुझकों यह त्योहार,नहीं कुछ मन को भाया
खाली-खाली हाथ, देख जियरा मुरझाया
कह "चन्दर" कविराय,रुके ना आँसू बहना
आयी पल-पल याद, मुझें तू प्यारी बहना
***
भाई तू परदेश में, तुझ बिन फीके रंग
भेज रही पतियाँ तुझें, मैं बदरी के संग
मैं बदरी के संग,आज आँसू की लड़ियाँ
लेना इनकों बाँध,समझ बहना की रखियाँ
कह "चन्दर" कविराय,रुके अब नहीं रुलाई
किसे सुनाऊँ पीर, बता जियरा की भाई
*छबड़ा जिला बारां,राजस्थान
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