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भगवान कृष्ण के वागे (पोशाख) 



✍️संजय वर्मा 'दॄष्टि'

नानी को भगवान कृष्ण के वागे (पोशाख )बनाने का शौक था ,यही उनकी कृष्ण के प्रति सेवा भक्ति भी थी | वे अपनी बुढ़ी आँखों से हाथ सिलाई मशीन पर नित्य वागे सीकर छोटे गोपाल मंदिर मे जाती | वहां भजन करती व हाथ ,मशीन से तैयार किये गये वस्त्रों को मंदिर आने वाली भक्तो मे निशुल्क बाँट देती | कई घरों मे भगवान के सुन्दर सजीले वागो को पाकर लोग उनकी प्रशंसा करने लगते थे |वस्त्रों की भेट को नानी भगवान पर चढ़ाए जाने वाली फूलों की तरह मानती थी |इसी से नानी के मन को शांति मिलती थी |कर्म,कला, श्रम,,भक्तिभाव से की जाने वाली पूजा वाकई दूसरों को भी वागे की कला की प्रेरणा  देती थी |आज नानी इस दुनिया मे नहीं है किन्तु उनके सीले सुन्दर तरीके से वागे बनाने की कला एवं उन्हे निशुल्क बांटने का पुनीत कार्य आज दूसरों को प्रेरणा दे गया है |भक्ति भाव से पूजा करने का ये ढंग वाकई सुन्दर व प्रेरणा दायक भी है |बस इस कला का एक दूसरे को बाटने का ज्ञान होना चाहिये. 


*मनावर जिला -धार (म.प्र.) 

 


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