Subscribe Us

वतन की रक्षा करें प्रियतम मेरे



*डाॅ अंजु सक्सेना

लौट रहे हैं प्रियतम मेरे
मां भारती का कर ऊँचा भाल।


मेहंदी, कजरा, सिंदूर, पायल,
जोड़ा लाल पहन कर लिए सोलह सिंगार।


किस विध करूँ स्वागत अपने प्रिय का
विकल हृदय आज है हर्षित अपार।


द्वार पर खड़ी हो
कर रही हूँ साजन का पथ निहार। 


दूर से एक झलक देख
भूली तिलक,थाली, स्वागत सत्कार। 


दौड़ पिया से लिपट गई कुछ ऐसे
सिंदूरी मांग से अभिनंदित हुआ उनका भाल।


नैनन जल ने नजरें वारी
फूल से खिलकर लजा उठे कपोल
पाकर वीर साजन का साथ ।


मन ही मन विधना तुमसे यही है अर्चना
जब तक जिऊँ सुहागन रखना,
वतन की रक्षा करें प्रियतम मेरे,
मेरे सुहाग की तुम रक्षा करना।

*जयपुर 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ