Subscribe Us

वाह रे ठाकुर जी



✍️आशीष तिवारी निर्मल 

 

तुम ने गज़ब रचा संसार,

चहुंओर मचा है हाहाकार,

वाह रे ठाकुर जी...........! 

 

बेबसी का लगा हुआ अंबार,

खोया अपनापन और प्यार,

वाह रे ठाकुर जी............! 

 

छद्मश्री को पद्मश्री उपहार,

सच्ची कला हो रही भंगार,

वाह रे ठाकुर जी............! 

 

खूब बढ़ा काला कारोबार,

मौन देख रही है सरकार,

वाह रे ठाकुर जी............! 

 

नारियों पे जुल्मों,अत्याचार,

दिख रही खाखी भी लाचार,

वाह रे ठाकुर जी............!

 

अपराधी घूमें खुले बाजार,

शरीफों के लिए कारागार,

वाह रे ठाकुर जी............!

 

मोबाइल की है कृपा अपार,

टूट रहे हैं,रिश्ते,घर,परिवार

वाह रे ठाकुर जी.............!

 

*लालगांव जिला ,रीवा मध्यप्रदेश

 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ