✍️अर्चना त्यागी
कभी तो ये दुनिया बदलेगी
हां कभी तो।
कभी तो कोई लौटेगा ही
बनकर अफसर
अपने घर।
कभी तो कोई बोलेगा सच
बैठ कुर्सी पर।
तेरे मन से मेरे मन तक
आग जली है जो नफरत की
कभी तो ये आग बुझेगी
हां कभी तो।
राम, मुहम्मद की खातिर
लड़ते, मरते लोग हजारों हैं,
हैं एक नाम ये दोनों ही
कभी तो ये खबर मिलेगी
हां कभी तो।
मुंह अंधेरे उठकर
चल देंगे हम सब
नई सुबह का करने स्वागत।
कभी तो ये रात छंटेगी
हां कभी तो।
*जोधपुर राजस्थान
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ