*प्रो. रवि नगाइच
ये बारिश का मौसम, सवेरे सवेरे,
परेशान शबनम, सवेरे सवेरे।
हैरान मुझको किए जा रही है,
तेरी जुल्फे-बरहम, सवेरे सवेरे।
रुलाती है मुझको, सताती है मुझको,
तेरी याद हमदम, सवेरे सवेरे।
मोहलत मुझे दो अभी रात भर की,
चले जाएंगे हम, सवेरे सवेरे।
मेरे दिल में गंगा, तेरे भी लबों पर,
रहे आबे जमजम, सवेरे सवेरे।
ख्वाबो में आकर सुनाई है उसने,
पायल की छम छम, सवेरे सवेरे।
चलो अब तो बाबा के दर पर चले हम,
पुकारेंगे बम बम, सवेरे सवेरे।
*उज्जैन, म.प्र.
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