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प्रेम



✍️रुपेश कुमार


प्रेम में  है जीवन की हर खुशियाँ यहाँ ,

प्रेम में है जीवन की हर दुनियाँ यहाँ ,

 

प्रेम में  है जीवन की हर रुसवाईयाँ ,

प्रेम में है जीवन की हर रंगरेलियाँ ,

 

प्रेम में  है जीवन की  परिकल्पना ,

प्रेम में शामिल है  हर आत्मा  ,

 

प्रेम में  है  हर दीवानगी,

प्रेम मे है  हर आवारगी ,

 

प्रेम में है जीवन का  पागलपन ,

प्रेम मे है जीवन की  अभिकल्पना ,

 

प्रेम में है जीवन की हर सच्चाई,

प्रेम में भूली जीवन की कड़वाई,

 

प्रेम मे  कोई तोड़ता है  चाँद तारे 

प्रेम मे हर एक देखता मीठे सपने।

 

प्रेम मे समाया भौतिकवाद ,

प्रेम  है अबूझ ,भाषा ज्ञान

 

प्रेम की परिभाषा सभी हैं ढूँढते,

प्रेम  परिभाषाओं का विज्ञान है ,

 

सारी संसार मे प्रेम सर्वोपरि है ,

प्रेम मे जीवन की सारी  अध्यात्मा ,

 

प्रेम के बोल पर सभी लुटते यहाँ ,

प्रेम के नाम पर सभी मरते यहाँ ,

 

प्रेम मे यहाँ भगवान का वास है ,

प्रेम ना हिंदू, सिख ,मुसलमान है ,

 

प्रेम सभी ग्रंथो मे भी सर्वश्रेष्ठ है ,

प्रेम शब्द कोश का सबसे पवित्र शब्द है ,

 

प्रेम करने से अभी तक ना हुआ है ,

बिन जानें अनजाने मे प्रेम होता ही है ,

 

प्रेम मे ना कोई जाति - धर्म होता ,

प्रेम मे ना कोई रंग - रुप होता है ,

 

प्रेम मे हर कोई अंधा होता है ,

प्रेम मे हर कोई दार्शनिक होता है ,

 

प्रेम के बल पर कोई तुलसीदास बन गया ,

प्रेम के बोल पर कोई कालिदास बन बन बैठा ,

 

प्रेम के आन पर कोई सोरठी वज्राभार बन गया ,

प्रेम के नाम पर कोई कृष्ण का दीवाना दास बन गया।

 

प्रेम के बोल पर कोई हीर राँझा बन गया ,

प्रेम के बोल पर कोई देवदास पारो बन गया !

 

प्रेम है दुनिया की एक ऐसा शब्द  ,

प्रेम के नाम पर लोग अपनी दुनिया लुटा दे रहे !

 

सीवान, बिहार

 


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