✍️डां कैलाश गुप्ता सुमन
इस पर कभी कुदृष्टी अपनी,
डाल न पायें काग।
हर्षित रहे हमेशा अपने,
भारत का भू-भाग।।
भारत माँ की गौरव गाथा,
दशों दिशायें गायें।
इसकी शौर्य पताका जग के,
कण कण में फहरायें।।
सदभावों के परिधानों में,
लग ना पायें दाग।
आसमान से अपनेपन का,
अंबुद जल बरषायें।
अचला के आँचल पर फसलें,
खुशियों की लहरायें
ईद, दिवाली, वैशाखी से,
सुख के जलें चिराग।
बच्चा बच्चा इस भूमि का,
श्रम के संग गढेगा।
प्रगति द्वार पर दस्तक देगी,
पानी विश्व भरेगा।।
एक दिवस ऐसा आयेगा,
बँधे विश्व की पाग।
हर्षित रहे हमेशा अपने,
भारत का भू - भाग।।
*मुरैना मध्यप्रदेश
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