✍️ सुषमा दीक्षित शुक्ला
फूल से खुशबू कभी जुदा नहीं होती।
पाकीज़गी प्यार की बेखुदा नहीं होती ।
है अगर कशिशे मोहब्बत रूह की।
तो बाखूदा ये गुमशुदा नहीं होती।
जंग ए उल्फत में अगर हार हो मुमकिन।
इससे बेहतर तो इश्क की अदा नहीं होती ।
प्यार की राह में अगर मौत भी आए ।
इससे प्यारी तो यार की कदा नहीं होती ।
फूल से खुशबू कभी जुदा नहीं होती ।
पाकीज़गी प्यार की बेखुदा नहीं होती ।
हो हासिले इश्क ,नहीं मुमकिन हरदम ।
सुलह जज्बात से करके संभल जा ऐ ! दिल।
टूटते दिल में वैसे भी कोई सदा नहीं होती।
फूल से खुशबू कभी जुदा नहीं होती ।
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