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फलसफा



 ✍️सोनल पंजवानी


वक़्त ने सिखा ही दिया

उन जाते लम्हों ने

आवाज़ देकर

ये बता ही दिया

अपनी आह को सुन कर

पलकों की कोरों से झरती

लड़ी को छू कर

मन की पीड़ा को भी

महसूस कर लो

फिर बिखेर देना

इक मीठी मुस्कान

और देखना...कैसे थमता है 

ये ग़म का स्याह अंधेरा।

*निपानिया, इंदौर


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