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मरना नहीं



✍️डाॅ. हितेन्द्र गोयल


दोस्त मेरे ज़िंदगी को दे तवज्ज़ो तू ज़रा
लड़ना होगा हर मुसीबत से तू है सोना ख़रा
मुश्किलें पर्वत सी है खाई भी कांटों से भरी
हिम्मत से चलने वालों की आंखें हैं किनसे यूं डरी


मृत्यु अंतिम सत्य है जो आएगी ले जाएगी
वक्त से पहले यूं जाना बुज़दिली कहलाएगी
मन को घेरता समंदर काला ये डरायेगा
दिल पे रखना एतबार तू दौर ये गुजर जाएगा


कायनात का है करिश्मा चेहरा तेरा नूर है
शौर्यगाथा है जवानी हुनर भी भरपूर है
ख़ुद से रुठ जाने की ग़लती कैसे करता है बता
बात ग़ैरों की दिल पे ले कर करता है खु़द को फ़ना


ख़्वाहिशें दिल की तेरी पैरों में मंज़िल लाएगी
चलते ही चलते रहना तू सब आंधियां टल जाएगी
पंखों से अपने हौसलों के आसमां ये नाप लो
ताकत बदलती है जहां ताकत ये अब पहचानलो


तुझसे है ये रौनकें खुशियां भी तेरा ज़िक्र है

आह जो निकले तेरी अपनों को कितनी फ़िक्र है
मुंह मोड़ ले ;गर दुनिया ये तो भी तुझे डरना नहीं
कुछ भी कर लेना जो चाहे दिल मगर मरना नहीं

जोधपुर राजस्थान

 


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