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कोरोना को मात



✍️देवकी दर्पण

 

आज आपदा है बड़ी, परीक्षा की यही घड़ी। 

तोड़ना कोरोना लड़ी, बड़ी नहीं बात है। 

बात गर गौर होगी, इरादों में छोर होगी

समझलो भोर होगी, क्षण काली  रात है। 

रात से न क्षति होगी, परिपक्व मति  होगी, 

विचारों में गति होगी, देगी उसे मात है।

मात पूत को पुकारे, बाहर न जाना प्यारे।

कोरोना डाइन वहां, लगा बेठी घात है।।

 

कोराना महीन धार, चुपके से करे वार। 

मानना नही है हार, हौसला बुलंद है। 

फन्द को न  पालना है, खुद को ही ढ़ालना है, 

देश को भी पालना है, नहीं कोई द्वन्द्व है। 

मन्द भारत मे चाल, विदेशों में ठोकी ताल।

कोरोना बेहाल यह देश क्यों पाबन्द है। 

पाबन्दियां नहीं जहां, कोरोना फला है वहां, 

सहा लोक डाउन तो, मंगल आनन्द  है।। 

 

जान समय की  चाल, ढ़ाल रख क्यो निढ़ाल।

मत गलने दे दाल कोरोना के काल की। 

काल से काहे बैहाल,रोकनी पड़ेगी चाल, 

हाल ही में काट डाल, रस्सी रस्सी जाल की। 

जाल करती जलील, मत दे जरा सी ढ़ील,

कील ठोकना छाती में, खाल देख बाल की। 

बाल बाल बच रहा इरादा जो सच रहा, 

खैर नही होगी अब  काल के कपाल की।। 

 

 *रोटेदा जिला बून्दी( राज.)

 


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