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'कोहली' बनने का प्रयास न करो 'ओली जी' ,आउट हो जाओगे...



✍️सुशील कुमार 'नवीन'


अकेले नाम से थोड़े ही कोई महान बनता है । महान तो वो अपने कर्मों से बनता है। अब नेपाल के प्रधानमंत्री श्रीमन खड्ग प्रसाद शर्मा ओली को ही ले लीजिए। नाम की शुरुआत में खड्ग और अंत में ओली क्या लगा है वो तो अपने आपको विराट कोहली समझने लगे हैं। रोजाना कोई न कोई नई बात निकालकर विवादों का सिक्सर मारने की फिराक में बने रहते है। सीमा विवाद की खाई अभी भरी नहीं है अब भगवान राम को नेपाली बताकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। राजनीति की पिच पर भी क्रिकेट खेलने के नियम होते हैं। नियमों को दरकिनार कर बड़बोली बैटिंग का प्रयास करने वालों को सिक्सर नहीं डक (शून्य) मिलता है। शायद उन्हें यह भी भान नहीं है कि बिना सोचे विचारे की गई जल्दबाजी रनआउट भी करा देती है। इसे और भी बेहतर उदाहरण से समझा जा सकता है। कुछ नया देखने की चाह में बस या ट्रैन की खिड़की से बाहर निकली गर्दन कई बार मां काली की भेंट चढ़ जाती है।


आप भी सोच रहे होंगे कि हास्य में आज क्रिकेट कैसे घुस आया। 'ओली' के विराट बनने का क्या मामला है। तो सुनिए। नेपाल हमारा पड़ोसी देश है। धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से दोनों देशों के बीच काफी समानताएं हैं। सम्बन्ध भी हमेशा दोस्ताना ही रहे है। हर चीज में भारत नेपाल से आगे है। मुकाबला तो दिवास्वप्न जैसा ही है। राजनीति का सीधा और सरल नियम है जब फायदा दोस्ती में ज्यादा हो तो दुश्मनी पालना धारदार खड्ग पर चलने जैसा होता है।भला कभी जानबूझकर किवाड़ में अंगुली दी जाती है। 'आ बैल मुझे मार' का अर्थ तो सभी जानते हैं कि मुसीबत को आमंत्रण देना मूर्खता ही है। गर्म तवा रोटी सेकने के लिए होता है हाथ जलाने के लिए नहीं। बिजली के स्विच ऑन-ऑफ के लिए होते है, हाथ लगा करंट चेक करने के लिए नहीं होते हैं। हथोड़ी कील ठोकने या ईंट-पत्थर तोड़ने-फोड़ने में उपयोगी है, उसे किसी के सिर में मारोगे तो परिणाम सर्वजन्य है। ये सब जानकर भी यदि नियमविपरित काम होगा तो बुरा तो लगेगा ही। 


फिलहाल नेपाल के साथ भारत के सम्बन्ध कटु अनुभव वाले हैं। सीमा विवाद अभी जारी है ही, इसी बीच नेपाली प्रधानमंत्री ओली के भगवान श्री राम सम्बन्धी बयान ने आग में घी डाल दिया है। एक आदिकवि की जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बयान दिया कि, भगवान राम भारतीय नहीं, नेपाली थे। असली अयोध्या भारत में नहीं, नेपाल के बीरगंज में है। सीता जी की शादी जिस राम से हुई थी, लेकिन वो राम हिंदुस्तान के नहीं बल्कि नेपाल के थे। 


अब ये बयान तो कॉमेडी टाइप ही है। कल को वो ये भी कह सकते है कि भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा भारत के उत्तरप्रदेश में न होकर नेपाल में ही है। या वो वे भी कह सकते है कि काठमांडू ही असली मथुरा है। भारत में बहने वाली गंगा नदी असली नहीं है। बागमती नदी ही असली गंगा नदी है। वो इस पर प्रमाण भी दे सकते है कि  इस नदी के तट पर ही काठमांडू स्थित है। नेपाल के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक भगवान 'पशुपतिनाथ' का विश्व प्रसिद्ध मन्दिर भी इसी नदी के किनारे पर स्थित है। या वो वे भी कह सकते है कि असली ताजमहल, लालकिला, हावड़ा ब्रिज, जंतर मंतर, आमेर किला, मुगल गार्डन, स्वर्ण मंदिर,शक्ति पीठ, जगन्नाथ पुरी,शिमला, मंसूरी, देहरादून, हरिद्वार सब नेपाल में ही है। महाभारत का युद्ध भी नेपाल की धरती पर हुआ था। और यही गीता ज्ञान प्रदान किया गया था। योगी जी, मोदी जी, शाह साहब सब नेपाल से ही हैं। भारत मे तो वे घूमने आए थे सो यहां के लोगों ने उन्हें रोक लिया। कपिल, सचिन, धोनी, विराट सब नेपाल के ही हैं। दारा सिंह, चन्दगीराम, ध्यानचंद भारत के है ही नहीं। और तो और भारत का दिल दिल्ली भी नकली है, असली तो नेपाल में है।


कहने की बात ये है कि बात वही हो जो तार्किक हो। जिसके प्रमाण हो। ताकि उस पर विश्वास की कोई तो वजह बनें। तो श्रीमन 'ओली साहब' आप 'विराट कोहली' बन सिक्सर मारने का प्रयास न करें। कोहली बनने के चक्कर मे देश की जनता का बैंड न बजवाएं। मधुर बोलें, सम्बन्धों में मधुरता रखें। 


*हिसार


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