*सर्वज्ञ शेखर
कोई दरवाजा खटखटा रहा था, बाहर जाकर देखा तो एक अधेड़ सा आदमी दरवाजे पर खड़ा था। बोला "बाबूजी मेरी बेटी की शादी है कुछ पैसे दे दो।"
मैंने कहा "यह तो बहुत अच्छी बात है, मैं अपनी पत्नी से कह कर कोई एक उपहार या साड़ी दे देता हूं।"
"नहीं नहीं बाबू जी, मुझे तो पैसे ही चाहिए, उपहार,साड़ी तो बहुत आ जाएंगे।" वह बोला।
मैं समझ गया ।मैंने उसको एक भी पैसा नहीं दिया ।
दूसरे दिन अखबार में एक खबर थी, "बेटी की शादी में ज्यादा शराब पीने से बाप की मौत । बेटी की डोली और बाप की अर्थी एक साथ निकली घर से।"
*सिकन्दरा ,आगरा
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