✍️नमिता गुप्ता 'मनसी'
मैं भी "जी" लेती वो कुछ लम्हें जी भर
न जानें वो बरस क्यों लौटकर नहीं आते !!
एक दिन गुजर जाएंगे यूं ही, बिन कहे
जाने वाले कभी भी बोलकर नहीं जाते !!
कभी खुशियां कभी गम, हमारी ही तो नेमतें
हम कोई तोहफा वहां से तोलकर नहीं लाते !!
संभाले हूं कब से बस "एक चाह" ही मन में
हां, कुछ ख्वाहिशें ऐसी सौंपकर नहीं जाते !!
पढ़ा हर एक हरफ को, बिना शिकायत ही
रहा बाकी, बचा वो पन्ना मोड़कर नहीं जाते !!
*मेरठ उ.प्र.
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